क्या आपका घर का दरवाज़ा वास्तु के अनुसार है? जानिए महत्वपूर्ण बातें

घर का दरवाज़ा

     वास्तु शास्त्र केवल एक प्राचीन भारतीय परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की ऊर्जा, सुख-समृद्धि और शांति को संतुलित करने का विज्ञान है। घर का मुख्य दरवाज़ा वास्तु शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहीं से ऊर्जा का प्रवेश होता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि मुख्य द्वार का दिशा, डिज़ाइन, रंग, और सजावट वास्तु के अनुसार कैसे होना चाहिए, और कौन-सी गलतियाँ अशांति ला सकती हैं।

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उत्तर दिशा (उत्तरमुखी घर)

  • सकारात्मकता और धन आगमन की दिशा मानी जाती है।

  • इस दिशा में मुख्य द्वार शुभ फल देता है।

पूर्व दिशा (पूर्वमुखी घर)

  • सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है, स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए श्रेष्ठ।

  • आध्यात्मिक उन्नति भी संभव होती है।

दक्षिण दिशा

सामान्यतः निषेध मानी जाती है। अगर हो तो वास्तु उपाय ज़रूरी हैं।

पश्चिम दिशा

अच्छा माना जाता है लेकिन कुछ उपायों की आवश्यकता होती है।

घर का दरवाज़ा
  • उत्तर-पूर्व (ईशान कोण): सर्वश्रेष्ठ स्थान – यहाँ से ऊर्जा का शुद्ध प्रवाह होता है।

  • दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण): भारी वस्तुएँ रखें, लेकिन दरवाज़ा न हो।

  • वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम): वायुवेग से संबंधित, दरवाज़ा यहां होने पर रिश्तों में मतभेद हो सकते हैं।

🔷 मुख्य द्वार की बनावट और वास्तु सिद्धांत:

  1. द्वार की ऊँचाई और चौड़ाई

    • मुख्य द्वार सबसे ऊँचा और चौड़ा होना चाहिए।

    • द्वार का आकार आयताकार होना चाहिए। गोलाकार या असामान्य आकार अशुभ माने जाते हैं।

  2. द्वार की सामग्री

    • लकड़ी का दरवाज़ा सबसे शुभ माना जाता है। सागौन की लकड़ी सर्वोत्तम है।

    • धातु के दरवाज़े उत्तर दिशा में निषेध हैं, लेकिन पश्चिम दिशा में स्वीकार्य।

  3. दरवाज़े के पैनल की संख्या

    • दो पैनल वाला द्वार बेहतर होता है। तीन पैनल दोषपूर्ण माने जाते हैं।

  4. द्वार की आवाज़

    • द्वार खुलने पर आवाज़ नहीं आनी चाहिए। चिकनाई लगाते रहें। कर्कश आवाज नकारात्मकता फैलाती है।

  1. स्वस्तिक, ॐ, या शुभ-लाभ के चिन्ह

    • इन प्रतीकों से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

  2. तोरण (आम या अशोक के पत्तों वाला)

    • घर में देवता का वास माना जाता है।

  3. नाम पट्टिका साफ और स्पष्ट हो

    • यह पहचान की दृष्टि से ही नहीं बल्कि शुभता के लिए आवश्यक है।

  4. दीपक या लाइट

    • दरवाज़े पर रोशनी रहने से अंधकार नहीं आता और धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है।

🔷 क्या नहीं रखें मुख्य द्वार पर:

  1. टूटा हुआ दरवाज़ा या हैंडल

  2. जूते-चप्पल फैलाकर

  3. गंदगी या कचरा

  4. बंद घड़ी या आईना

  5. दरवाज़े पर सीढ़ी का सीधा सामना

घर का दरवाज़ा

🔷 रंगों का महत्व:

  • उत्तर दिशा: हरा, क्रीम

  • पूर्व दिशा: हल्का नीला, सफेद

  • पश्चिम दिशा: स्लेटी या नीला

  • दक्षिण दिशा: लाल, नारंगी (वास्तु उपाय के साथ)

🎨 रंगों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव:

  • हरा रंग: शांति, ताजगी और जीवन का प्रतीक

  • नीला: मानसिक शांति और स्थिरता

  • लाल और नारंगी: शक्ति, ऊर्जा, और प्रेरणा

  • सफेद: पवित्रता और स्पष्टता

  1. रोज सुबह दरवाज़े पर जल छिड़कें

  2. नमक मिले पानी से सफाई करें

  3. दरवाज़े के पास तुलसी या मनी प्लांट लगाएं

  4. संगीत या मंत्र ध्वनि सुबह सुनाना लाभदायक होता है

🔷 मुख्य द्वार से जुड़े दोष और उनके उपाय:

दोषउपाय
दक्षिणमुखी द्वारपंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा लगाएं
दरवाज़ा सामने दरवाज़ादरवाज़े के बीच परदेदारी करें
टूटी चौखट या लकड़ीतुरंत बदलवाएं
दरवाज़े पर सीढ़ियाँनींबू-मिर्च टांगें
दो दरवाज़ों के बीच टकरावमध्य में पर्दा या पेड़ लगाएं

 

घर का दरवाज़ा

🔷 वास्तु अनुसार शुभ संकेत:

  • हर सुबह दरवाज़े के पास दीपक जलाएं।

  • पूर्णिमा और अमावस्या को दरवाज़े की विशेष सफाई करें।

  • सप्ताह में एक बार दरवाज़े के पास नमक-झाड़ू रखें (नकारात्मक ऊर्जा हटती है)।

  • तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व में लगाएं।

  • घंटी या घंटिका मुख्य द्वार पर लटकाएं, इससे ऊर्जा गूंजती है।

🔷 वास्तु और धन-संपत्ति:

  • मुख्य द्वार से होकर ही धन की ऊर्जा प्रवेश करती है।

  • दरवाज़ा साफ और सजावटी हो तो लक्ष्मी का वास होता है।

  • घर का द्वार अनुकूल रंगों और प्रतीकों से सजाया गया हो।

  • दरवाज़े पर लक्ष्मी चरण पादुका बनाएं।

  • गणेश लक्ष्मी की फोटो द्वार के बाईं ओर लगाएं।

🔷 वास्तु और परिवारिक शांति:

  • दरवाज़े की दिशा यदि अनुकूल हो तो घर के सदस्यों में समरसता बनी रहती है।

  • उत्तर-पूर्व दिशा का द्वार पारिवारिक मेलजोल को बढ़ाता है।

  • हर सोमवार दरवाज़े पर गंगाजल छिड़कना लाभकारी होता है।

घर का दरवाज़ा

🔷 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मुख्य द्वार:

  • सूर्य की किरणें पूर्व से आती हैं, इसलिए पूर्वमुखी घरों में प्राकृतिक प्रकाश बेहतर रहता है।

  • हवा का प्रवाह उत्तर दिशा से अधिक होता है, जिससे वेंटिलेशन बेहतर होता है।

  • सफाई और रोशनी के कारण रोगों की संभावना कम होती है।

निष्कर्ष:

घर का मुख्य द्वार केवल प्रवेश का माध्यम नहीं बल्कि ऊर्जा के प्रवाह का केन्द्र है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि इसका निर्माण और रखरखाव सही दिशा व नियमों के अनुरूप किया जाए, तो जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहता है।


 

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