वास्तु शास्त्र केवल एक प्राचीन भारतीय परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की ऊर्जा, सुख-समृद्धि और शांति को संतुलित करने का विज्ञान है। घर का मुख्य दरवाज़ा वास्तु शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहीं से ऊर्जा का प्रवेश होता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि मुख्य द्वार का दिशा, डिज़ाइन, रंग, और सजावट वास्तु के अनुसार कैसे होना चाहिए, और कौन-सी गलतियाँ अशांति ला सकती हैं।
पूर्णिमा और अमावस्या को दरवाज़े की विशेष सफाई करें।
सप्ताह में एक बार दरवाज़े के पास नमक-झाड़ू रखें (नकारात्मक ऊर्जा हटती है)।
तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व में लगाएं।
घंटी या घंटिका मुख्य द्वार पर लटकाएं, इससे ऊर्जा गूंजती है।
🔷 वास्तु और धन-संपत्ति:
मुख्य द्वार से होकर ही धन की ऊर्जा प्रवेश करती है।
दरवाज़ा साफ और सजावटी हो तो लक्ष्मी का वास होता है।
घर का द्वार अनुकूल रंगों और प्रतीकों से सजाया गया हो।
दरवाज़े पर लक्ष्मी चरण पादुका बनाएं।
गणेश लक्ष्मी की फोटो द्वार के बाईं ओर लगाएं।
🔷 वास्तु और परिवारिक शांति:
दरवाज़े की दिशा यदि अनुकूल हो तो घर के सदस्यों में समरसता बनी रहती है।
उत्तर-पूर्व दिशा का द्वार पारिवारिक मेलजोल को बढ़ाता है।
हर सोमवार दरवाज़े पर गंगाजल छिड़कना लाभकारी होता है।
🔷 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मुख्य द्वार:
सूर्य की किरणें पूर्व से आती हैं, इसलिए पूर्वमुखी घरों में प्राकृतिक प्रकाश बेहतर रहता है।
हवा का प्रवाह उत्तर दिशा से अधिक होता है, जिससे वेंटिलेशन बेहतर होता है।
सफाई और रोशनी के कारण रोगों की संभावना कम होती है।
निष्कर्ष:
घर का मुख्य द्वार केवल प्रवेश का माध्यम नहीं बल्कि ऊर्जा के प्रवाह का केन्द्र है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि इसका निर्माण और रखरखाव सही दिशा व नियमों के अनुरूप किया जाए, तो जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहता है।