🇮🇳 कच्चातिवु विवाद फिर गर्माया: BJP-DMK टकराव और विजय की ’99 साल की मांग’

कच्चातिवु एक छोटा सा निर्जन द्वीप है जो भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में स्थित है। ऐतिहासिक रूप से यह रामनाथपुरम जिले का हिस्सा माना जाता था, लेकिन 1974 में भारत सरकार ने इसे श्रीलंका को सौंप दिया।

कच्चातिवु विवाद

क्यों गरमा है मुद्दा?

2025 में यह मुद्दा इसलिए गरमा गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में यह कहा कि कांग्रेस सरकार ने बिना तमिलनाडु के लोगों से पूछे कच्चातिवु को श्रीलंका को दे दिया था। इस पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

विजय की टीक्रा क्यों चर्चा में?

तमिल सुपरस्टार विजय ने इस मुद्दे पर खुलकर बात करते हुए कहा कि अगर भारत सरकार कच्चातिवु द्वीप को वापस नहीं ला सकती तो कम से कम 99 साल की लीज पर ले ले। उनका यह बयान वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर #VijayForKatchatheevu ट्रेंड करने लगा।

एक नजरी जनचेता मुद्दा:

  • मछुआरों को श्रीलंका द्वारा पकड़ने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

  • भारत-श्रीलंका रिश्तों में तनाव।

  • तमिलनाडु में चुनावी राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है।

कच्चातिवु विवाद

BJP:

  • केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी BJP इसे कांग्रेस की ऐतिहासिक गलती बता रही है।

  • मोदी सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ रही है।

DMK:

  • स्टालिन सरकार का दावा है कि केंद्र अब तमिलनाडु की भावना का उपयोग कर रहा है।

  • राज्य सरकार इसे क्षेत्रीय स्वाभिमान का मामला बता रही है।

प्रचीन अदालत:

  1. श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने हाल ही में स्पष्ट किया कि कच्चातिवु श्रीलंका का ही हिस्सा रहेगा।

  2. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया कि वो इस पर विचार कर रही है।

जनता का व्यूह योगद क्यों है?

कई युवा अब सोशल मीडिया पर कच्चातिवु को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक पर #SaveKatchatheevu जैसे ट्रेंड्स देखे जा रहे हैं।

क्या क्या कारण की ओर क्या एगे चनौनौक्य सभावनाएं?

  • भारत-श्रीलंका के समुद्री समझौते की दोबारा समीक्षा।

  • मछुआरों की सुरक्षा के लिए नए कानून।

  • तमिलनाडु की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए नीति निर्माण।

आखिर कागज:

यह मुद्दा आने वाले चुनावों में एक निर्णायक विषय बन सकता है। कच्चातिवु सिर्फ एक द्वीप नहीं बल्कि तमिल अस्मिता, भारत की समुद्री सुरक्षा और मछुआरों की आजीविका से जुड़ा विषय बन गया है।

कच्चातिवु विवाद

विवाद की पृष्ठभूमि

1974 में भारत सरकार ने कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंप दिया था, जिसे उस समय एक ‘एग्रीमेंट’ के तहत माना गया था। लेकिन तमिलनाडु के कई राजनैतिक दल इस फैसले का लगातार विरोध करते आ रहे हैं, खासकर मछुआरे समुदाय के मुद्दों को लेकर।

🔹 बीजेपी बनाम डीएमके: 2025 में टकराव

2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को फिर से उठाया और डीएमके पर आरोप लगाया कि उसने तमिलों के हक को अनदेखा किया। डीएमके ने पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अब इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है।

🔹 विजय का बयान: 99 साल की लीज

तमिल अभिनेता और अब राजनीतिक चेहरा बने विजय ने कच्चातिवु को लेकर कहा कि “यह द्वीप भारत को 99 साल की लीज पर दिया गया था, ना कि हमेशा के लिए।” उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी।

🔹 क्या है मौजूदा स्थिति?

इस समय बीजेपी, डीएमके और AIADMK के बीच बयानबाजी का दौर तेज है। केंद्र सरकार का कहना है कि श्रीलंका के साथ नए समझौते की आवश्यकता है, जबकि राज्य सरकारें चाहती हैं कि भारत इसे वापस लेने की कोशिश करे।

निष्कर्ष

Katchatheevu एक छोटा सा द्वीप है, लेकिन इसके राजनीतिक, सामाजिक और रणनीतिक प्रभाव बहुत बड़े हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा बड़ा रोल निभा सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत इसे किसी रूप में पुनः प्राप्त कर पाता है।

कच्चातिवु विवाद एक बार फिर चर्चा में है। जानिए बीजेपी और डीएमके के बीच तीखी बहस का कारण, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और अभिनेता विजय की 99 साल की लीज वाली टिप्पणी के मायने।

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