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स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के लिए लाभकारी

स्ट्रॉबेरी की खेती: किसानों के लिए मुनाफे का सौदा

भारत में खेती हमेशा से किसानों की आय का मुख्य साधन रही है। पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अब किसान ऐसी फसलें उगाने की ओर बढ़ रहे हैं, जिनसे उन्हें अधिक मुनाफा मिल सके। इन्हीं में से एक है स्ट्रॉबेरी की खेती। स्ट्रॉबेरी एक व्यावसायिक फसल है, जिसकी मांग भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को कम समय में अधिक लाभ मिल सकता है। इस लेख में हम आपको स्ट्रॉबेरी की खेती के लाभ, इसकी खेती करने की विधि, जलवायु और मृदा की आवश्यकताएं, और बाजार में इसकी मांग के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

स्ट्रॉबेरी की खेती क्यों है मुनाफे का सौदा?

उच्च बाजार मूल्य:
स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को अन्य पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभ होता है। इसकी कीमत बाजार में अधिक होती है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है।

कम समय में अधिक उत्पादन:
स्ट्रॉबेरी की फसल सिर्फ 3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है। इस वजह से किसान एक साल में दो बार भी स्ट्रॉबेरी की खेती कर सकते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है।

स्वास्थ्य लाभ और बढ़ती मांग:
स्ट्रॉबेरी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है, क्योंकि इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके कारण बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है।

प्रोसेसिंग और निर्यात की संभावना:
स्ट्रॉबेरी का उपयोग जैम, जैली, आइसक्रीम और शेक बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, इसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बहुत अधिक है, जिससे निर्यात की संभावना बढ़ जाती है।

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। हालांकि, कुछ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जा सकती है। स्ट्रॉबेरी के पौधे के लिए निम्नलिखित जलवायु आवश्यक होती है:

✅ तापमान: 15°C से 25°C के बीच
✅ ठंडी रातें और हल्की धूप वाली सुबह
✅ ओस की मात्रा कम होनी चाहिए
✅ तेज बारिश या अधिक गर्मी स्ट्रॉबेरी के लिए नुकसानदायक हो सकती है

भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र और नैनीताल जैसे क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

मिट्टी का चुनाव और भूमि की तैयारी

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी (Loamy Soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती के लिए निम्नलिखित मृदा विशेषताएं जरूरी हैं:

✅ पीएच मान: 5.5 से 6.5 के बीच
✅ कार्बनिक तत्वों से भरपूर
✅ पानी का ठहराव न हो
✅ मिट्टी में नमी बनाए रखने की क्षमता हो

भूमि की तैयारी कैसे करें?

  • सबसे पहले खेत की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
  • गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और जैविक खाद का उपयोग करें।
  • खेत को 1 मीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर ऊँची क्यारियों में तैयार करें।
  • पौधों के बीच में लगभग 25 से 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • प्लास्टिक मल्चिंग (Plastic Mulching) का उपयोग करें, जिससे नमी बरकरार रहे और खरपतवार की सम

स्ट्रॉबेरी की किस्में

भारत में स्ट्रॉबेरी की कई किस्मों की खेती की जाती है, जिनमें से प्रमुख हैं:

किस्म का नामविशेषताएं
चंद्राउच्च उत्पादन और मीठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध
स्विट चार्लीजल्दी पकने वाली और अधिक मीठी
टिआगाउच्च गुणवत्ता वाली और बड़ी स्ट्रॉबेरी
कैमरोसामध्यम आकार और स्वादिष्ट फल
सेलवारोग प्रतिरोधी और टिकाऊ किस्म

इनमें से स्विट चार्ली और कैमरोसा किस्में भारत में सबसे ज्यादा उगाई जाती हैं।


स्ट्रॉबेरी की रोपाई कैसे करें?

  • समय:
    स्ट्रॉबेरी की रोपाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे उपयुक्त होता है।
  • बीज या पौधा:
    स्ट्रॉबेरी के बीज से पौध तैयार करना मुश्किल होता है, इसलिए नर्सरी से तैयार पौधों का उपयोग करना बेहतर होता है।
  • रोपण का तरीका:
    • पौधों को लाइन में लगाएं।
    • पौधों के बीच में 25-30 सेंटीमीटर का अंतर रखें।
    • रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।

स्ट्रॉबेरी की सिंचाई और देखभाल

✅ सिंचाई ड्रिप सिस्टम (Drip System) से करें।
✅ सप्ताह में 2-3 बार हल्की सिंचाई करें।
✅ ज्यादा पानी से बचें, इससे जड़ें सड़ सकती हैं।
✅ गर्मी के मौसम में पत्तियों पर हल्का पानी छिड़क सकते हैं।
✅ फूल और फल आने के समय अधिक ध्यान दें।

स्ट्रॉबेरी की फसल को नुकसान पहुँचाने वाले कीट और रोग

कीट:

  • एफिड्स (Aphids)
  • रेड स्पाइडर माइट्स (Red Spider Mites)
  • थ्रिप्स (Thrips)

उपाय:

  • जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।
  • नीम का तेल छिड़काव करें।

रोग:

  • पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)
  • ग्रे मोल्ड (Gray Mold)

उपाय:

  • फफूंदनाशकों का उपयोग करें।
  • खेत की सफाई का ध्यान रखें।

स्ट्रॉबेरी की कटाई और पैकेजिंग

  • स्ट्रॉबेरी के फल रोपाई के 60 से 70 दिनों बाद तैयार हो जाते हैं।
  • पूरी तरह से लाल होने के बाद ही फल तोड़ें।
  • हाथों से हल्के से पकड़कर स्ट्रॉबेरी तोड़ें।
  • पैकेजिंग के समय नमी का ध्यान रखें, ताकि फल खराब न हो।

मुनाफा और बाजार में बिक्री

स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।

  • 1 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती से 2 लाख से 3 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है।
  • प्रोसेसिंग कंपनियों और सुपरमार्केट में स्ट्रॉबेरी की अच्छी मांग होती है।
  • इंटरनेशनल मार्केट में निर्यात करने से और भी अधिक मुनाफा हो सकता है।

निष्कर्ष

स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। कम समय, कम लागत और अधिक मुनाफे के कारण स्ट्रॉबेरी की खेती दिन-ब-दिन लोकप्रिय हो रही है। अगर सही तकनीक से इसकी खेती की जाए, तो किसान अपनी आमदनी को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं। इसलिए, स्ट्रॉबेरी की खेती को अपनाएं और कम समय में अधिक मुनाफा कमाएं! 🍓

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